Tuesday 2 August 2016

HOW TO MAKE AND DESTROY INDIAN CURRENCY ???

नोट चाहिए सभी को होता है सभी को इसकी
जरूरत भी होती है लेकिन आपको पता है ये नोट
बनता कैसे है और इसको खत्म कैसे किया जाता
है, ये जानना भी उतना ही जरूरी है जितना
नोटों को खर्च करना।
पैसा-पैसा सब करते हैं लेकिन ये पैसा, रुपया बनता कैसे
है और इसे कैसे खत्म किया जाता है इस बात की
जानकारी है आपको? रुपये को लेकर आपकी
जानकारी बस यही होगी कि बैंक में जमा कर दो
और जरूरत पढ़ने पर निकाल लो तो भइया आप बैंक तक
ही सीमित ना रहे और जानें इस रुपये के साथ क्या
होता है और आपके हाथों में आता कैसे है।
सबसे पहली बात जान लो...रुपये का कागज तैयार
करने के लिए दुनिया में चार फर्म हैं। फ्रांस की
अर्जो विगिज, अमेरिका का पोर्टल। स्वीडन का
गेन, पेपर फैब्रिक्स ल्यूसेंटल।
पढ़ें- हवाई जहाज में सफर किया है कभी? तो बताओ
इसकी खिड़कियां गोल क्यों होती हैं
कैसे तय होता है कि बैंक किस मूल्य के कितने नोट
छापेगा?
यह विकास दर, मुद्रास्फीति दर, कटे-फटे नोटों की
संख्या और रिजर्व स्टॉक की जरूरतों पर निर्भर
करता है।

इन्हें कहां पर छापा जाता है स्याही, कागज कहां
का?
देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर
मिल है। नोट प्रेस मध्य प्रदेश के देवास, नासिक,
सालबोनी और मैसूर में हैं। 1000 के नोट मैसूर में छपते
हैं। देवास की नोट प्रेस में एक साल में 265 करोड़ नोट
छपते हैं। देवास में तैयार स्याही का ही उपयोग
किया जाता है। इनमें 20, 50, 100, 500 रुपए मूल्य के
नोट शामिल हैं।
मध्य प्रदेश के ही होशंगाबाद में सिक्यॉरिटी पेपर
मिल है। नोट छपाई पेपर होशंगाबाद और विदेश से
आते हैं। जबकि टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता
और नोएडा में हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट तैयार करने के लिए
कॉटन से बने कागज और खास तरह की स्याही का
इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय करंसी नोट
तैयार करने के लिए जिस कागज का इस्तेमाल होता
है, उसमें कुछ का प्रोडक्शन महाराष्ट्र स्थित करंसी
नोट प्रेस (सीएनपी) और अधिकांश का प्रोडक्शन
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल में ही होता है।
कुछ पेपर इम्पोर्ट भी किया जाता है।

नोट छापने के लिए ऑफसेट स्याही का निर्माण
मध्य प्रदेश के देवास स्थित बैंकनोट प्रेस में होता है।
जबकि नोट पर जो उभरी हुई छपाई नजर आती है,
उसकी स्याही सिक्कम में स्थित स्वीस फर्म की
यूनिट सिक्पा (एसआईसीपीए) में बनाई जाती है।
हम तक करेंसी कैसे पहुंचती है रिजर्व बैंक के देशभर में
18 इश्यू ऑफिस हैं। ये अहमदाबाद, बेंगलुरू,बेलापुर,
भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी,
हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, मुंबई,
नागपुर, नई दिल्ली, पटना व थिरुवनंतपुरम में स्थित हैं।
इसके अलावा एक सब-ऑफिस लखनऊ में है। प्रिंटिग
प्रेस में छपे नोट सबसे पहले इन ऑफिसों में पहुंचते हैं।
यहां से उन्हें कमर्शियल बैंक की शाखाओं को भेजा
जाता है।

बेकार हो चुके नोटों को कहां जमा करते हैं?: नोट
तैयार करते वक्त ही उनकी ‘शेल्फ लाइफ’ (सही बने
रहने की अवधि) तय की जाती है। यह अवधि समाप्त
होने पर या लगातार प्रचलन के चलते नोटों में खराबी
आने पर रिजर्व बैंक इन्हें वापस ले लेता है। बैंक नोट व
सिक्के सर्कुलेशन से वापस आने के बाद इश्यू ऑफिसों
में जमा कर दिए जाते हैं।
रिजर्व बैंक सबसे पहले इनके असली होने की जांच
करता है। उसके बाद इन नोटों को अलग किया
जाता है, जो दोबारा जारी किए जा सकते हैं।
बेकार हो चुके नोटों को नष्ट कर दिया जाता है।
इसी तरह सिक्कों को गलाने के लिए मिंट भेज
दिया जाता है।

कैसे छपते हैं
विदेश या होशंगाबाद से आई पेपर शीट एक खास
मशीन सायमंटन में डाली जाती है। फिर एक अन्य
मशीन जिसे इंटाब्यू कहते हैं उससे कलर किया जाता
है। यानी कि शीट पर नोट छप जाते हैं। इसके बाद
अच्छे और खराब नोट की छटनी हो जाती है। एक
शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं। खराब को
निकालकर अलग करते हैं।
कैसे नंबर अंकित करते हैं
शीट पर छप गए नोटों पर नंबर डाले जाते हैं। फिर शीट
से नोटों को काटने के बाद एक-एक नोट की जांच
की जाती है। फिर इन्हें पैक किया जाता है। पैकिंग
के बाद बंडलों को विशेष सुरक्षा में ट्रेन से भारतीय
रिजर्व बैंक तक भेजा जाता है।
क्या खासियत होती है इनमें
बैंक नोट की संख्या चमकीली स्याही से मुद्रित
होती है। बैंक नोट में चमकीले रेशे होते हैं।
अल्ट्रावायलेट रोशनी में देखे जा सकते हैं। कॉटन और
कॉटन के रेशे मिश्रित एक वॉटरमार्क पेपर पर नोट
मुद्रित किया जाता है।

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